Saturday, May 31, 2008

क्या तारे मुझे याद रखेंगे?

सपने कई बार मनुष्य को असमंजस में डाल देते हैं। रात में आए सपने सुबह उठने पर जब याद रह जावें तब तो अजीब स्थिति पैदा हो जाती है। अनेक व्यक्ति सपना याद करके सन्न रह जाते हैं। मैं भी आज सुबह उठा तो रात का सपना याद कर अवाक रह गया। दो बार चाय पी कर भी शून्य में ही निहारता रह गया। अपने आस-पास सब कुछ अनजाना सा लगने लगा। ऐसा सपना पहली बार आया और मुझे झिंझोड़ कर चला गया।

अथाह सागर के बीचों-बीच अपने आप को पा कर डर सा गया। एक तरापा था और उस पर मैं अकेला ही था। पानी में उतरने में वैसे ही डर लगता है और मेरे पास तो पतवार भी नही थी। सागर भी बहुत शांत था। किसी भी किस्म की हवा भी नही चल रही थी। बस, दूर कही लहरों का शोर सुनाई पड़ रहा था। तरापा भी स्थिर था। आसमान साफ था और तारों की बस्तियां भी कई प्रकाश वर्ष दूर बसी नज़र आ रही थीं।

तारे देखने का शौक बचपन से ही रहा है। घर की छत पर गर्मियों में कई बार उनसे बातें भी तो की है। कई तारों को नाम भी देता था। पीपल के पेड़ के पीछे झुंड बना कर निकलने वाले तारों की प्रतीक्षा करनी पड़ती थी। रात के दूसरे पहर ही दर्शन देते थे। चौमासे में बादल ढक लेते थे इन चमकती बिन्दूयों को। ढीठ इतने की बादलों में से भी झाँक कर अपनी उपस्थिति जतला देते थे। मेरा इन सब से जीवन भर नाता बना रहा। पहले इनके झुंड को मैं नाम देता था पर बाद में खगोल विज्ञान पढ़ने के बाद पता चला की इन समूहों के नाम पहले ही रखे जा चुके हैं।

कल सपने में भी यही समूह, मेरे बरसों पुराने साथी, मुझसे घुप्प अंधेरे में बतियाते रहे। सब के नए नाम भूल कर उन्हें अपने बचपन में दिए नामों से पुकारता रहा। एक पल भी मन में नही आया की किसी को आवाज दूँ कि मुझे इस स्थिति से निकल कर किनारे लगा दें। भला बरसों पुराने मित्रों से मिलने पर समय और पीड़ा की भी किसी को परवाह होती है।

सुबह सो कर उठा तो रात को सपने में मिली तन्हाई से परेशान नही था। अफ़सोस इस बात का है कि अनजाने में ही सही पर कितने बरसों से मैंने अपने बचपन के साथियों से बात ही नही की है। अब महानगर में रहता हूँ। तारों और मेरे बीच धूल आ जाती है। इस धूल को छंटने में वक्त लगेगा।

मैं नही जानता की मैं इन तारों को कितने दिन और देख सकूंगा। ये टिमटिमाते मित्र, मेरे बहुत बाद, मेरे जैसे कई और प्रशंसक बनायेंगे। उनकी रचनात्मकता को अपने समूहों के रूप दिखा कर रिझां भी सकते है। कुछ से मेरे जैसा और कुछ से विज्ञान का सम्बन्ध बना लेंगे ।

यह सब लिखते हुए सपने का असर कम हो चला है। बस, एक ही बात मस्तिष्क में समझ नही आ रही है - "क्या तारे मुझे याद रखेंगे?"

2 comments:

Vandana Ritik Mulchandani said...

Thanks for your comments regarding my posts. Despite my pain, I try not to feel let down. I feel u are feeling like that. But why?

You are a perfect creation of God and presently u are very near to yourself. They say purpose of life is self realisation (know that u are soul - pure, blissful, full of love and god realisation - God is that spirit that created soul and we all are one.

Your dream of ocean and waves, all peace and calm indicates that u are very much in connection with your inner self - Congratulation. People meditate for hours to reach that stage. For finding meaning of dreams u can visit website : soulfuture. Look for meaning of symbols u see in your dreams.

You have identified u are acting on advice of others. Rectify. You are a perfect creation of God u can take your own decisions. Not following advice of others means u are taking responsibility of your own actions and learning to walk on your own. You have to learn to change yourself. You cannot change others. Once a problem is identified, first step has been taken. Now take courage and first of all acccept and approve yourself just the way you are - A PERFECT CREATION OF GOD.
Your soul is talking to you learn to listen to it. U came into this world to know soul and spirit. Once u know that material desires get fulfilled automatically.
God bless you.

Puja Upadhyay said...

तारों का पता नहीं, मैंने तुम्हें याद रखा है। इतने सालों तक। तलाशती भी रही हूँ। कि अचानक ऐसे कैसे कोई चला जाता है ज़िंदगी से। जाने तुम हो कहाँ। और कभी लौटोगे या नहीं...